मकान मालिक की मनमानी बंद! किराएदारों को मिलेंगे कानूनी अधिकार, आज से नियम लागू! Tenant Rights Law

Tenant Rights Law: अब किराए पर रहने वाले लोगों को मकान मालिक की मनमानी नहीं झेलनी पड़ेगी। केंद्र सरकार ने किरायेदारी व्यवस्था को संतुलित और पारदर्शी बनाने के लिए नया कानून लागू कर दिया है। यह कानून 1 अगस्त 2025 से प्रभावी हो चुका है और इसका उद्देश्य मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट करना है। इस नए कानून के अंतर्गत अब किराएदारों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी और उन्हें जबरन घर खाली करवाने या मनमाना किराया बढ़ाने जैसी परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। यह बदलाव देश भर में किराए पर रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए राहत की खबर है।

किराया तय करने के नियम

अब मकान मालिक अपने हिसाब से किराया तय नहीं कर सकते। नए कानून के तहत किराया तय करने की प्रक्रिया दोनों पक्षों की सहमति से होगी और इसके लिए किरायेदारी समझौता (Rent Agreement) अनिवार्य होगा। कोई भी मालिक बिना उचित नोटिस और अनुबंध के किराया नहीं बढ़ा सकता। हर तीन साल में अधिकतम 10% तक की वृद्धि का प्रावधान रखा गया है। इससे किराएदारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा और वे पहले से किराए की योजना बना सकेंगे। यह नियम शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों के किरायेदारों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आया है।

अनुबंध की अनिवार्यता

सरकार ने अब यह अनिवार्य कर दिया है कि हर किराएदार और मकान मालिक के बीच लिखित अनुबंध होना चाहिए। इस अनुबंध में किराया, अवधि, जमा राशि, मरम्मत का जिम्मा और घर खाली करने की शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी जाएंगी। अगर कोई पक्ष इस अनुबंध का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। बिना अनुबंध के किसी भी किरायेदारी को वैध नहीं माना जाएगा। इससे दोनों पक्षों के बीच विवाद की संभावना घटेगी और मामला कोर्ट में जाने की स्थिति कम होगी।

जबरन बेदखली पर रोक

नए कानून के तहत मकान मालिक अब किराएदार को बिना वैध कारण या कोर्ट आदेश के जबरन घर से नहीं निकाल सकते। अगर किसी किराएदार ने अनुबंध की सभी शर्तों का पालन किया है, तो उसे निकालने के लिए मकान मालिक को पहले उचित कारण बताना होगा और उसके बाद नोटिस देना होगा। साथ ही किराएदार को न्यूनतम तीन महीने का समय दिया जाएगा जिससे वह वैकल्पिक व्यवस्था कर सके। यह प्रावधान विशेष रूप से उन किराएदारों के लिए राहत लेकर आया है जो वर्षों से एक ही जगह रह रहे हैं।

मरम्मत और रखरखाव

मरम्मत को लेकर भी अब स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। अब घर के बड़े निर्माण या संरचनात्मक मरम्मत की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी, जबकि सामान्य रखरखाव जैसे नल या बल्ब बदलने जैसे कार्य किराएदार को करने होंगे। यदि मकान मालिक मरम्मत करने में विफल रहता है, तो किराएदार स्वयं मरम्मत करवा सकता है और उसका खर्च किराए से समायोजित किया जा सकता है। इससे किराएदारों को खराब हालत वाले घरों में रहने की मजबूरी नहीं रहेगी और मकान मालिकों की जवाबदेही बढ़ेगी।

जमा राशि की सीमा

कई मकान मालिक किराए के अलावा दो से छह महीने तक की भारी भरकम सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगते हैं। नए कानून के तहत अब सिक्योरिटी डिपॉजिट की अधिकतम सीमा तय कर दी गई है। मेट्रो शहरों में यह सीमा दो महीने के किराए तक और छोटे शहरों में एक महीने तक होगी। साथ ही, किराया समाप्त होने पर यदि कोई नुकसान नहीं हुआ है, तो मकान मालिक को यह राशि एक महीने के अंदर लौटानी होगी। इससे किराएदारों को आर्थिक राहत मिलेगी और उनका पैसा लंबे समय तक फंसा नहीं रहेगा।

शिकायत की सुविधा

किराएदार अब किसी भी प्रकार की परेशानी की शिकायत ऑनलाइन पोर्टल या स्थानीय किरायेदारी ट्रिब्यूनल में दर्ज कर सकते हैं। सरकार जल्द ही राज्य और जिला स्तर पर किरायेदारी न्यायाधिकरण (Tenancy Tribunal) की स्थापना कर रही है, जहां दोनों पक्ष बिना वकील के भी अपना पक्ष रख सकेंगे। यह प्रक्रिया तेजी से होगी और अधिकतम 60 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा। इससे आम लोगों को न्याय मिलेगा और लंबे कोर्ट केस से बचा जा सकेगा। यह बदलाव कानूनी पहुंच को सुलभ बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

सभी राज्यों पर लागू

यह कानून केंद्र द्वारा जारी किया गया है और इसे राज्यों को भी लागू करना अनिवार्य है। कई राज्यों ने इसे पहले ही स्वीकार कर लिया है और कुछ राज्यों में अधिसूचना जारी होने की प्रक्रिया चल रही है। आने वाले महीनों में यह पूरे देश में प्रभावी हो जाएगा। इससे सभी किराएदारों और मकान मालिकों को एकसमान नियमों का पालन करना होगा। यह पारदर्शिता बढ़ाएगा और किरायेदारी बाजार को संगठित करेगा। राज्यों के अनुसार इसमें कुछ मामूली बदलाव हो सकते हैं, लेकिन मूल नियम समान रहेंगे।

अस्वीकृति

यह ब्लॉग पोस्ट “Tenant Rights Law 2025” विषय पर आधारित है और इसमें दी गई जानकारी विभिन्न सरकारी रिपोर्टों, सार्वजनिक घोषणाओं और विश्वसनीय मीडिया स्रोतों से संकलित की गई है। यह केवल सामान्य जानकारी के लिए है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह या निर्णय से पहले संबंधित सरकारी विभाग या अधिकृत अधिसूचना का अवश्य अध्ययन करें। नियमों में समय-समय पर संशोधन संभव है। लेखक इस जानकारी की पूर्णता या सटीकता की कोई गारंटी नहीं देता और यह पोस्ट किसी प्रकार की आधिकारिक कानूनी सलाह नहीं है।

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