RBI Loan Default Guidelines: भारतीय रिज़र्व बैंक ने लोन वसूली प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब बैंक और लोन एजेंसियां किसी भी डिफॉल्टर के साथ अभद्रता नहीं कर सकेंगी। पिछले कुछ समय में लोन रिकवरी एजेंटों द्वारा की गई बदसलूकी और मानसिक प्रताड़ना की खबरें सामने आई थीं, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। नए नियम के तहत एजेंट अब केवल तय समय में ही संपर्क कर सकते हैं और भाषा मर्यादित रखनी होगी। इस बदलाव का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कर्जदारों को मानसिक तनाव या सामाजिक अपमान का सामना न करना पड़े और वसूली की प्रक्रिया मानवीय बनी रहे।
तय हुआ समय सीमा
RBI ने स्पष्ट कर दिया है कि रिकवरी एजेंट अब सुबह 8 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद किसी भी ग्राहक से संपर्क नहीं कर सकते। यह समय-सीमा पूरे देश में लागू की गई है ताकि ग्राहकों को उनके निजी जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप से बचाया जा सके। एजेंट को ग्राहक की सहमति के बिना बार-बार फोन करने या घर आकर डराने-धमकाने की इजाजत नहीं है। अगर एजेंट इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उस बैंक या एनबीएफसी पर कार्रवाई की जाएगी। यह कदम ग्राहकों के अधिकारों को मजबूत बनाता है और बैंकिंग सेक्टर को अधिक जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक और प्रयास है।
ग्राहक की अनुमति जरूरी
अब किसी भी ग्राहक से संपर्क करने से पहले उसकी सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। एजेंट पहले से फोन या मैसेज द्वारा ग्राहक से मिलने का समय तय करेगा और तभी वसूली की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। अचानक घर पहुंचकर रिकवरी करना अब गैरकानूनी माना जाएगा। साथ ही ग्राहक की गोपनीयता को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा। इससे उन ग्राहकों को राहत मिलेगी जो किसी कारणवश किश्त नहीं चुका पा रहे हैं और उन्हें डराया-धमकाया जाता है। यह गाइडलाइन लोन लेने वालों को सम्मान के साथ व्यवहार देने की दिशा में एक बड़ी पहल है और सभी बैंकों को इसका सख्ती से पालन करना होगा।
महिला ग्राहकों को विशेष सुरक्षा
RBI ने महिला लोन धारकों की सुरक्षा के लिए भी विशेष निर्देश जारी किए हैं। महिला ग्राहकों से केवल महिला एजेंट ही संपर्क करेंगी या फिर एजेंट को महिला की सहमति के साथ ही किसी पुरुष को भेजने की इजाजत होगी। इसके अलावा, रिकवरी के समय महिला के परिजनों की उपस्थिति जरूरी होगी। यह कदम महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और उन्हें मानसिक रूप से सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है। पहले कई मामलों में महिला ग्राहकों के साथ असहज और अपमानजनक व्यवहार की शिकायतें मिली थीं, जिन्हें अब इन नियमों के जरिए रोका जाएगा। यह फैसला महिला सशक्तिकरण को भी मजबूती देता है।
बैंक होंगे जिम्मेदार
RBI ने बैंकों और लोन देने वाली कंपनियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। अगर किसी एजेंट द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो उसका जवाब बैंक को देना होगा। इसके लिए हर बैंक को अब एक विशेष निगरानी तंत्र बनाना होगा जो रिकवरी एजेंट की गतिविधियों पर नजर रखेगा। ग्राहक यदि किसी तरह की बदसलूकी की शिकायत करता है तो बैंक को तुरंत कार्रवाई करनी होगी और उसकी रिपोर्ट RBI को देनी होगी। इस नियम से बैंकों की जवाबदेही बढ़ेगी और उन्हें अब एजेंट की हरकतों को गंभीरता से लेना पड़ेगा, वरना उनकी साख पर भी असर पड़ेगा।
डिजिटल वसूली में भी नियम
RBI की नई गाइडलाइन सिर्फ फिजिकल रिकवरी पर ही नहीं, बल्कि डिजिटल माध्यमों पर भी लागू होगी। व्हाट्सएप, ईमेल, कॉल और मैसेज जैसे किसी भी डिजिटल चैनल के जरिए अगर ग्राहक को डराया या बार-बार परेशान किया जाता है, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। ग्राहकों को वर्चुअल तरीकों से भी सम्मानजनक व्यवहार का हक है। बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल वसूली के दौरान एजेंट भाषा या व्यवहार में संयम रखें और ग्राहक की निजता भंग न हो। यह प्रावधान आधुनिक बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित और मानवीय बनाए रखने की दिशा में एक जरूरी कदम है।
शिकायत की प्रक्रिया आसान
RBI ने यह भी निर्देश दिया है कि अगर कोई ग्राहक रिकवरी एजेंट के व्यवहार से परेशान है, तो वह सीधे बैंक की शिकायत सेल में संपर्क कर सकता है। इसके लिए टोल फ्री नंबर, ईमेल और ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा होनी चाहिए। बैंक को हर शिकायत को 30 दिनों के भीतर निपटाना अनिवार्य होगा। अगर बैंक शिकायत को गंभीरता से नहीं लेता तो ग्राहक RBI के बैंकिंग लोकपाल या कंज्यूमर फोरम में भी जा सकता है। इससे ग्राहकों को यह भरोसा मिलेगा कि वे अकेले नहीं हैं और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत व्यवस्था मौजूद है।
अस्वीकृति
यह लेख भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी हालिया दिशा-निर्देशों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से साझा की गई है और इसे किसी भी प्रकार की कानूनी या वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी लोन, रिकवरी या बैंकिंग संबंधित निर्णय से पहले संबंधित बैंक या वित्तीय संस्था से संपर्क कर जानकारी प्राप्त करना जरूरी है। अलग-अलग संस्थाओं की प्रक्रिया और नियमों में भिन्नता हो सकती है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी कदम से पहले पूरी जानकारी और पुष्टि अवश्य कर लें।