RBI Guidelines 2025: RBI ने हाल ही में लोन प्रक्रिया को लेकर एक नया गाइडलाइन जारी किया है, जिससे लोन लेना अब पहले से थोड़ा कठिन हो सकता है। यह नियम खासतौर पर अनरजिस्टर्ड एजेंट, फर्जी दस्तावेज़ और मिस-सेलिंग जैसी समस्याओं को रोकने के लिए लाया गया है। इसके अनुसार बैंक और NBFC अब किसी भी ग्राहक को लोन देने से पहले उसकी इनकम सोर्स, क्रेडिट स्कोर और दस्तावेजों की गहन जांच करेंगे। साथ ही ग्राहक को यह जानकारी भी देनी होगी कि वह EMI का भुगतान किस स्रोत से करेगा। इससे लोन लेने की प्रक्रिया पारदर्शी जरूर होगी लेकिन आम लोगों को समय और दस्तावेज जुटाने में परेशानी आ सकती है।
एजेंट की होगी जिम्मेदारी
RBI के इस नए नियम के तहत अब बैंक या NBFC के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपने अधिकृत एजेंट्स की पूरी जानकारी ग्राहक को दें। साथ ही अगर कोई एजेंट धोखा करता है या ग़लत लोन दिलवाता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक या फाइनेंशियल कंपनी की होगी। इससे जहां एक तरफ धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट आएगी, वहीं दूसरी तरफ बैंकों और एजेंट्स पर जवाबदेही का बोझ बढ़ेगा। ग्राहक के लिए यह जरूरी हो जाएगा कि वे लोन आवेदन करते वक्त पूरी डिटेल सावधानी से जांचें और केवल पंजीकृत माध्यमों से ही आवेदन करें।
डिजिटल वेरिफिकेशन अनिवार्य
अब सभी प्रकार के लोन के लिए डिजिटल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि ग्राहक को अब आधार, पैन, इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट जैसे डॉक्यूमेंट ऑनलाइन तरीके से जमा करने होंगे। इस बदलाव का उद्देश्य फर्जी दस्तावेजों से लोन लेने वालों पर रोक लगाना है। लेकिन ग्रामीण और तकनीकी जानकारी से दूर लोगों के लिए यह प्रक्रिया थोड़ी कठिन हो सकती है। खासतौर पर वे लोग जो पहले एजेंट के सहारे लोन लेते थे, उन्हें अब स्वंय ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा या फिर अधिकृत बैंक प्रतिनिधि से ही मदद लेनी होगी।
क्रेडिट स्कोर पर नजर
नए नियमों के अनुसार अब क्रेडिट स्कोर की भूमिका और भी अहम हो गई है। अगर किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर 700 से कम है, तो लोन मिलने की संभावना काफी कम हो जाएगी। इसके साथ ही बैंक अब आपके पुराने लोन व्यवहार, समय पर EMI भुगतान और आपके मौजूदा कर्ज को भी ध्यान में रखेंगे। ऐसे में लोन लेने से पहले जरूरी है कि आप अपना क्रेडिट स्कोर सुधारें और मौजूदा कर्जों को समय पर चुकाएं। देर से भुगतान करने वालों के लिए यह नियम एक बड़ी चुनौती बन सकता है क्योंकि उनका आवेदन खारिज किया जा सकता है।
छोटे लोन होंगे मुश्किल
बैंक अब छोटे-मोटे पर्सनल लोन या इंस्टैंट लोन देने से पहले पूरी जांच करेंगे, जिससे त्वरित लोन सेवाओं का लाभ लेना अब थोड़ा कठिन हो जाएगा। पहले जहां 10 से 20 हज़ार रुपये तक के लोन कुछ ही मिनटों में मिल जाते थे, अब उसके लिए भी केवाईसी, इनकम प्रूफ और बैंकिंग इतिहास जांचा जाएगा। इससे ऑनलाइन ऐप्स से तुरंत लोन लेने वालों को झटका लग सकता है। हालांकि इससे डिफॉल्ट रेट में गिरावट आएगी और लोन की प्रक्रिया ज्यादा सुरक्षित हो जाएगी। लेकिन इसके कारण जरूरतमंद लोगों को तात्कालिक आर्थिक मदद मिलने में देरी हो सकती है।
नया नियम क्यों जरूरी
RBI ने यह नियम इसलिए लागू किए हैं क्योंकि बीते कुछ सालों में लोन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं। कई एजेंट्स ने फर्जी दस्तावेजों से लोगों के नाम पर लोन ले लिया, जबकि कुछ मामलों में ग्राहक को पूरी जानकारी दिए बिना ही भारी ब्याज पर लोन दे दिया गया। इसके अलावा डिजिटल लोन ऐप्स के जरिए बिना जांच-पड़ताल के लोन देना और बाद में वसूली के लिए धमकी देना आम हो गया था। इन समस्याओं को खत्म करने के लिए RBI ने लोन प्रोसेस को अधिक पारदर्शी और नियंत्रित बनाने की दिशा में यह कदम उठाया है।
आम आदमी क्या करें
अगर आप भविष्य में लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले अपने क्रेडिट स्कोर को ठीक रखें और अपनी इनकम और खर्च का स्पष्ट रिकॉर्ड तैयार रखें। केवल अधिकृत वेबसाइट्स और बैंक चैनल से ही लोन के लिए अप्लाई करें। किसी भी कॉल, SMS या अनजान लोन ऐप पर भरोसा न करें। साथ ही दस्तावेजों की स्कैन कॉपी और डिजिटल सिग्नेचर जैसी चीजें सुरक्षित रखें ताकि कोई उनका गलत उपयोग न कर सके। इन नए नियमों से पारदर्शिता बढ़ेगी लेकिन सतर्कता रखना अब हर ग्राहक की जिम्मेदारी बन चुकी है।
अस्वीकृति
यह ब्लॉग पोस्ट सिर्फ सामान्य जानकारी देने के लिए लिखा गया है। इसमें बताए गए RBI के नियमों की पुष्टि के लिए आपको आधिकारिक अधिसूचना या बैंक की वेबसाइट से जानकारी लेना जरूरी है। लोन लेने से पहले बैंक द्वारा बताए गए सभी दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और संदेह की स्थिति में किसी अधिकृत प्रतिनिधि से सलाह लें। पोस्ट में दी गई जानकारी बदल सकती है, क्योंकि नीतियों में समय-समय पर संशोधन होता रहता है। किसी भी प्रकार की वित्तीय योजना बनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। लेखक किसी निर्णय या वित्तीय नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है।