क्या अब बेटियों को नहीं मिलेगा बराबरी का हक? हाईकोर्ट के फैसले से मचा देशभर में हड़कंप! High Court Decision 2025

High Court Decision 2025: एक हालिया हाईकोर्ट के फैसले ने पूरे देश में नई बहस छेड़ दी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या अब बेटियों को परिवार में बराबरी का हक नहीं मिलेगा? अदालत के एक फैसले के बाद देशभर में सामाजिक संगठनों, महिलाओं और आम नागरिकों में हलचल मच गई है। यह मामला संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर है जिसमें अदालत ने कुछ शर्तों के आधार पर बेटियों को बराबरी से वंचित कर दिया। अब यह मामला संवेदनशील बन चुका है और सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं।

मामला क्या है

यह पूरा मामला एक परिवार की संपत्ति को लेकर हाईकोर्ट में चला था जहां बेटियों ने अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगा था। लेकिन अदालत ने इस केस में कुछ दस्तावेज और कानूनी तकनीकी आधारों पर बेटियों को संपत्ति में अधिकार देने से इनकार कर दिया। फैसले में कहा गया कि यदि पिता की मृत्यु एक विशेष तारीख से पहले हुई थी और पारिवारिक दस्तावेजों में बेटियों का नाम शामिल नहीं है, तो उन्हें स्वाभाविक उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता। यह निर्णय एक कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा जरूर है, लेकिन इससे समाज में गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

फैसले की प्रतिक्रिया

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में आलोचना का दौर शुरू हो गया है। महिला अधिकार संगठनों, वकीलों और समाजसेवियों का कहना है कि यह निर्णय संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। उनका कहना है कि बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार मिलने चाहिए, चाहे मामला किसी भी कानूनी स्थिति का हो। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गर्म है जहां लोग इसे महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ मान रहे हैं। वहीं कुछ कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मामला पूरी तरह तकनीकी आधार पर तय किया गया है।

कानूनी पेच क्या है

हाईकोर्ट के फैसले का आधार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 और उसके 2005 में हुए संशोधन से जुड़ा हुआ है। 2005 के संशोधन में बेटियों को भी बेटे के बराबर हकदार बनाया गया था। लेकिन अदालत ने कहा कि यह संशोधन तभी लागू होता है जब पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद हुई हो। यदि मृत्यु इससे पहले हुई है और उत्तराधिकार तय हो चुका है तो फिर बेटियों को अधिकार नहीं दिया जा सकता। इस तकनीकी पेच ने ही बेटियों को संपत्ति से वंचित किया, जिससे विवाद और गहरा हो गया।

क्या है नया खतरा

इस फैसले के बाद अब यह डर भी सामने आ रहा है कि अगर यह निर्णय एक मिसाल बन गया तो लाखों बेटियों के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। अब तक जो महिलाएं अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का दावा कर रही थीं, उन्हें भी कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। इससे एक बड़ा वर्ग प्रभावित होगा जो पहले से ही आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है। यदि उच्च अदालतें इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं देतीं, तो इससे महिलाओं के अधिकारों की स्थिति और कमजोर हो सकती है।

बेटियों की लड़ाई

देश की कई बेटियों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि सिर्फ तकनीकी आधार पर महिलाओं को उनके हक से वंचित करना गलत है। बेटियां सिर्फ परिवार की जिम्मेदारी ही नहीं उठातीं, बल्कि परिवार की संपत्ति में भी उनका बराबरी का अधिकार है। यह लड़ाई सिर्फ एक संपत्ति के हक की नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा और समानता की है। अगर यह लड़ाई जीती जाती है तो यह पूरे देश की बेटियों के लिए एक नई मिसाल बन सकती है।

समाज में असर

हाईकोर्ट के इस फैसले से समाज में भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इस फैसले को कानून का सही पालन मानते हैं तो कुछ इसे लैंगिक असमानता का प्रतीक कह रहे हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर ज्यादा देखने को मिल सकता है जहां पहले से ही बेटियों को संपत्ति में हक नहीं दिया जाता। ऐसे में यह फैसला उनकी स्थिति को और कमजोर कर सकता है। वहीं शहरी वर्ग में यह मुद्दा कानून और संविधान के अधिकारों को लेकर एक नई बहस को जन्म दे रहा है।

आगे क्या होगा

अब पूरा देश इस मामले की अगली सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है। यह देखना बेहद अहम होगा कि क्या सर्वोच्च अदालत इस फैसले को पलटती है या फिर वही दिशा जारी रहती है। अगर सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप करती है तो महिलाओं को फिर से बराबरी का अधिकार मिल सकता है। वरना यह मामला एक स्थायी मिसाल बन जाएगा और भविष्य के कई मामलों को प्रभावित करेगा। ऐसे में सरकार और न्यायपालिका दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे महिला अधिकारों की रक्षा करें।

अस्वीकृति

इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और हाईकोर्ट के हालिया फैसले पर आधारित है। यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है, किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह या अंतिम निर्णय की पुष्टि के रूप में इसे न लें। अगर आप भी किसी संपत्ति विवाद या कानूनी स्थिति से जूझ रहे हैं तो कृपया किसी प्रमाणित अधिवक्ता या कानूनी सलाहकार से व्यक्तिगत रूप से परामर्श लें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी के आधार पर लिए गए निर्णय के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

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