कैश निकालने के लिए एटीएम का इस्तेमाल करते हैं, तो हो जाएं सावधान! नहीं तो जब हो जाएगी हलकी! ATM New Rules

ATM New Rules: देश में तेजी से बदलते बैंकिंग नियमों के बीच अब ATM से कैश निकालना भी आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार और बैंकिंग संस्थाएं मिलकर ATM ट्रांज़ैक्शनों पर टैक्स लगाने पर विचार कर रही हैं। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो बार-बार नकद निकालते हैं। अभी तक आप एक महीने में कुछ फ्री ट्रांज़ैक्शन कर सकते थे, लेकिन नए नियम लागू होने के बाद हर ट्रांज़ैक्शन पर अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है। यह बदलाव डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने और कैश ट्रांज़ैक्शन को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। अगर आप भी अक्सर ATM से पैसे निकालते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है।

क्यों लगा यह नियम

सरकार का मकसद है कि लोग ज्यादा से ज्यादा डिजिटल ट्रांज़ैक्शन की ओर बढ़ें और कैश पर निर्भरता कम करें। इसके लिए ATM से पैसे निकालने पर एक तय सीमा के बाद टैक्स लगाने की योजना बनाई जा रही है। पहले कुछ ट्रांज़ैक्शन फ्री होंगे, लेकिन उसके बाद हर बार नकद निकालने पर एक छोटा सा चार्ज या टैक्स लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ मेट्रो शहरों में नहीं, बल्कि छोटे कस्बों और गांवों में भी देखने को मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और नकदी की काला बाजारी भी रोकी जा सकेगी। हालांकि, आम जनता के लिए यह बदलाव थोड़ा परेशान करने वाला हो सकता है।

कितना देना होगा टैक्स

नए प्रस्ताव के अनुसार, हर अतिरिक्त ट्रांज़ैक्शन पर ₹10 से ₹30 तक का टैक्स या चार्ज लगाया जा सकता है। यह राशि बैंक की पॉलिसी, अकाउंट टाइप और स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, मेट्रो शहरों में जहां पहले से ही ट्रांज़ैक्शन लिमिट कम है, वहां टैक्स की राशि अधिक हो सकती है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इस टैक्स को थोड़ा कम रखा जा सकता है। हालांकि अभी यह नियम लागू नहीं हुआ है, लेकिन चर्चाएं जोरों पर हैं और उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में इसे फेज़ वाइज़ लागू किया जाएगा। इसलिए लोगों को अभी से डिजिटल पेमेंट की आदत डालनी शुरू कर देनी चाहिए।

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा

सरकार और बैंकिंग सिस्टम का फोकस अब डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने पर है ताकि कैश लेन-देन कम हो और सिस्टम पारदर्शी बने। यूपीआई, नेट बैंकिंग और मोबाइल वॉलेट जैसे विकल्प अब पहले से कहीं ज्यादा सरल और लोकप्रिय हो गए हैं। यही वजह है कि अब ATM ट्रांज़ैक्शन पर टैक्स लगाकर लोगों को डिजिटल ट्रांज़ैक्शन की ओर मोड़ने की कोशिश की जा रही है। साथ ही, इससे बैंकिंग नेटवर्क पर भी दबाव कम होगा क्योंकि बार-बार नकद निकालने से मशीनों की मेंटेनेंस लागत और कैश लोडिंग खर्च बढ़ते हैं। डिजिटल पेमेंट से न केवल वक्त बचता है, बल्कि ट्रैकिंग और ट्रांज़ैक्शन हिस्ट्री भी साफ रहती है।

किन्हें मिलेगा छूट

सरकार और बैंक मिलकर कुछ खास कैटेगरी को इस नए टैक्स से छूट दे सकते हैं जैसे कि वरिष्ठ नागरिक, विकलांग व्यक्ति या छोटे ग्रामीण व्यापारी। इन वर्गों को या तो ज्यादा फ्री ट्रांज़ैक्शन मिल सकते हैं या फिर टैक्स की दरें कम हो सकती हैं। साथ ही, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और जनधन खाताधारकों के लिए भी विशेष नियम बन सकते हैं ताकि वे इस बोझ से बच सकें। बैंकों को यह निर्देश भी दिया जा सकता है कि वे अपने ग्राहकों को हर महीने फ्री ट्रांज़ैक्शन की संख्या और टैक्स दर की जानकारी एसएमएस या ईमेल के जरिए समय-समय पर दें।

लोगों की चिंता

जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर की। कई लोगों का कहना है कि पहले ही महंगाई ने हालत खराब कर रखी है, अब अगर हर बार पैसे निकालने पर टैक्स देना पड़े तो आम आदमी की जेब और हल्की हो जाएगी। कुछ यूजर्स ने सुझाव दिया है कि सरकार को पहले डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना चाहिए, फिर ऐसे कदम उठाने चाहिए। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि बुजुर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अभी भी कैश पर निर्भर हैं, ऐसे में ये नियम उनके लिए कठिनाई पैदा कर सकते हैं।

क्या करना चाहिए

अगर आप भी बार-बार ATM से पैसे निकालते हैं तो अब आपको अपने ट्रांज़ैक्शन प्लान करने होंगे। कोशिश करें कि एक ही बार में जरूरत के हिसाब से पूरी राशि निकालें और बार-बार ट्रांज़ैक्शन से बचें। इसके अलावा डिजिटल पेमेंट की आदत डालें और UPI, पेटीएम, गूगल पे जैसे विकल्पों का इस्तेमाल बढ़ाएं। जरूरत पड़ने पर नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग से ट्रांसफर करें जिससे कैश की जरूरत ही कम पड़े। अगर आप सीनियर सिटीजन हैं या किसी विशेष कैटेगरी में आते हैं तो अपने बैंक से जानकारी जरूर लें कि आपको क्या छूट मिल सकती है। जागरूक रहना ही इस बदलाव में सबसे जरूरी है।

अस्वकृति

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें बताए गए सभी नियम, बदलाव और संभावित टैक्स योजनाएं मीडिया रिपोर्ट्स और बैंकिंग सूत्रों पर आधारित हैं। समय के साथ इनमें बदलाव संभव है। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित बैंक या अधिकृत स्रोत से पुष्टि अवश्य करें। यह लेख किसी भी प्रकार की आर्थिक सलाह नहीं है और लेखक या प्रकाशक किसी भी हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। कृपया हमेशा आधिकारिक जानकारी को प्राथमिकता दें।

Leave a Comment