Petrol Diesel Prices 22 July: 22 जुलाई की सुबह से ही देशभर में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में इजाफा देखा गया है। खासकर मेट्रो शहरों और बड़े राज्यों में यह बढ़ोतरी टू-व्हीलर और छोटे वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में पेट्रोल की कीमत में औसतन 40 से 60 पैसे प्रति लीटर तक का इजाफा हुआ है, जबकि डीज़ल के दामों में भी 35 से 50 पैसे की बढ़ोतरी हुई है। इन दामों का असर सीधे तौर पर टू-व्हीलर वालों की जेब पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों और टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव इसकी प्रमुख वजह हैं।
छोटे शहरों में असर
महानगरों के अलावा छोटे शहरों और कस्बों में भी पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा हुआ है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों में भी अब पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है। इससे दैनिक आवागमन पर निर्भर रहने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। टू-व्हीलर चलाने वाले मजदूर, छोटे व्यापारी और नौकरीपेशा लोग इस बढ़ोतरी से सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं। राज्य सरकारों ने अभी तक टैक्स में कोई राहत नहीं दी है, जिससे दामों में नरमी आने की संभावना फिलहाल कम ही दिखाई दे रही है।
क्यों बढ़े दाम
सरकारी तेल कंपनियों ने दामों में इस बढ़ोतरी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में तेजी को बताया है। इसके साथ ही भारत में लगने वाले वैट और एक्साइज ड्यूटी भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों को काफी प्रभावित करते हैं। तेल कंपनियां हर दिन की दरों के आधार पर कीमतों को अपडेट करती हैं, जिससे वैश्विक प्रभाव का असर तुरंत देखने को मिलता है। जुलाई के तीसरे हफ्ते में क्रूड ऑयल की कीमतें 84 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई थीं, जिसकी वजह से यह इजाफा होना तय था। आगे भी कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
टू-व्हीलर पर प्रभाव
सबसे ज्यादा असर टू-व्हीलर मालिकों पर पड़ा है क्योंकि पेट्रोल की कीमतें सीधे उनके डेली बजट को प्रभावित करती हैं। एक अनुमान के अनुसार, जो लोग रोजाना 15-20 किलोमीटर बाइक से सफर करते हैं, उनके मासिक खर्च में 300 से 500 रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है। डिलीवरी बॉय, कूरियर एजेंट और कैब सर्विस से जुड़े लोग इस बढ़ोतरी से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। अब लोग विकल्प के तौर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट या इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ रुख कर सकते हैं। कुछ जगहों पर सीएनजी की मांग में भी इजाफा देखने को मिल रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया
अब तक केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार की ओर से इस बढ़ोतरी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वित्त मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि टैक्स घटाना फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि इससे राजस्व पर असर पड़ेगा। हालांकि आम जनता को राहत देने के लिए कभी-कभी राज्य सरकारें वैट में कटौती करती हैं, लेकिन इस बार अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। विपक्षी दलों ने इस बढ़ोतरी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने की मांग फिर से उठाई है। आगे की स्थिति पूरी तरह सरकार के निर्णयों पर निर्भर करेगी।
क्या करें उपभोक्ता
ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को अब अपनी ईंधन खपत को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। कोशिश करें कि वाहन का अधिकतम उपयोग सिर्फ जरूरी कामों के लिए हो। कारपूलिंग या पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक स्कूटर और बाइक का चलन भी बढ़ रहा है, जो लंबी अवधि में किफायती साबित हो सकते हैं। सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिलती है, जिससे ईवी लेना आसान हो जाता है। जब तक कीमतें स्थिर नहीं होतीं, लोगों को अपनी यात्रा योजना और खर्चों को लेकर पहले से तैयारी करनी चाहिए।
आगे क्या उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में फिर से तेजी बनी रहती है, तो आने वाले हफ्तों में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है। वहीं अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो भी कीमतें प्रभावित होंगी। हालांकि कुछ देशों में उत्पादन बढ़ाने की बात हो रही है, जिससे स्थिति में थोड़ी राहत मिल सकती है। फिलहाल उपभोक्ताओं को सावधानीपूर्वक बजट बनाना होगा और विकल्पों पर ध्यान देना होगा, क्योंकि कीमतें कब तक स्थिर होंगी, इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं है।
अस्वीकृति
यह ब्लॉग पोस्ट केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें उल्लिखित पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें अलग-अलग राज्यों और शहरों में भिन्न हो सकती हैं। कीमतों का निर्धारण प्रतिदिन होता है और यह कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों, टैक्स नीति, और अन्य बाज़ार कारकों पर निर्भर करता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी स्थानीय पेट्रोल पंप अथवा सरकारी तेल कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर सटीक जानकारी प्राप्त करें। यह लेख निवेश, खरीद या सरकारी नीतियों को लेकर किसी भी प्रकार की कानूनी या आर्थिक सलाह नहीं देता है।